तनाव मुक्त जीवन ही श्रेष्ठ है....
तनाव मुक्त जीवन ही श्रेष्ठ है…… आए दिन हमें लोंगों की शिकायतें सुनने को मिलती है….... लोग प्रायः दुःखी होते हैं। वे उन चीजों के लिए दुःखी होते हैं जो कभी उनकी थी ही नहीं या यूँ कहें कि जिस पर उसका अधिकार नहीं है, जो उसके वश में नहीं है। कहने का मतलब यह है कि मनुष्य की आवश्यकतायें असीम हैं….… क्योंकि उसका मन पर नियंत्रण नहीं है। जबकि इस दुनिया में जीते जी हमारा मन ही जीवन की सफलता को तय करता है। इसीलिए तो कहा जाता है कि मन के हारे हार है और मन के जीते जीत। जो इंसान अपने मन को नियंत्रित कर लेता है, उसकी आवश्यकताएँ सिमट जाती हैं। जो मन को नियंत्रित नहीं कर पाता है उसकी अवस्था ठीक इसके विपरीत होती है। उसकी आवश्यकताएँ निरंतर जारी रहती हैं अर्थात कभी पूरी नहीं होती है। कहने का तात्पर्य यह है कि मन को वश में कर लेने से ही सुखद अनुभूति होती है। किसी भी तरह का तनाव नहीं रहता है। उदाहरण के लिए कोई इंसान बेहद गरीबी में भी पूरा जीवन स्वस्थ शरीर के साथ गहरे आनंद में डूबे रहकर गुजार लेता है, तो गरीबी बुरी नहीं कहलाएगी। दरअसल उसने अपने मन को नियंत्रित कर लिया और सीमित संसाधनों से ही संतुष्ट रहा और जी...