सावन की कजरी...
सावन की कजरी...
सावन आइ गइल मन भावन हवा चलै पुरवइया ना,
करिया बदरा घिर घिर आवै गरज गरज डेरवावै ना,
चकमक चकमक बिजली चमकै जियरा हरसावै ना,
रिमझिम रिमझिम पनिया बरसै मनवा के सरसावै ना,
उमड़ि घुमड़ि के बरसै लागेन पानी पानी कइलेन ना,
अरे... सखिया सावन झूला झूलैं गहि गहि पतेंग मारै ना,
कजरी गावैं झूमैं नाचैं मिलिजुलि खुशियाँ खूबै मनावैं ना,
सारी सखियाँ सोमवार भूखैं सजि धजि शिव के मनावैं ना,
हाथ जोड़ि के करैं अरजिया कोरोना से देव बचावा ना,
हर-हर बम-बम के राग अलापैं औढ़रदानी के मनावैं ना।
#सावन
#कजरी
➖ अशोक.
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