महात्मा गाँधी जयंती पर आयोजित वेब संगोष्ठी

 


महाराष्ट्र राज्य कनिष्ठ महाविद्यालय हिंदी अध्यापक संघ मुंबई विभाग द्वारा

महात्मा गाँधीजी की जयंती के उपलक्ष्य में वेबसंगोष्ठी का आयोजन"     


महाराष्ट्र राज्य कनिष्ठ महाविद्यालय हिंदी अध्यापक संघ मुंबई विभाग द्वारा 'महात्मा गाँधीजी जयंती व शास्त्री जयंती  के अवसर पर वेबसंगोष्ठी का आयोजन दिनांक 2 अक्टूबर, 2020 की शाम 5.30 बजे आभासी मंच गूगल मीट के माध्यम से सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। समारोह का शुभारंभ भारतीय संस्कृति व परंपरा का निर्वाह करते हुए गणपति वंदना व सरस्वती वंदना के साथ हुआ।

मंच का कुशल संचालन व समारोह के संयोजन का कार्य रिज़वी महाविद्यालय के हिंदी प्रा.अशोक सिंह ने बहुत अच्छे से किया। अतिथियों का स्वागत सत्कार व परिचय पत्र पढ़ने की भूमिका को प्राध्यापिका माधवी मिश्रा ने बखूबी अंजाम दिया। साथ ही उन्होंने कुशल वक़्ता के रूप में वेबसंगोष्ठी में हिस्सा भी लिया और मंच का बखूबी उदबोधन किया।

समारोह में चारचांद तब लग गया जब मुख्य अतिथि के रूप में मुंबई विश्विद्यालय के हिंदी विभाग के प्रोफेसर डॉ. दत्तात्रय मुरुमकर जी पधारे और पूरे समारोह के दौरान वे आभासी मंच पर सक्रियता से जुड़े रहे। उन्होंने गाँधीवादी विचारधारा व सिद्धान्तों से आभासी मंच का उत्कृष्ट उदबोधन व मार्गदर्शन किया। गाँधी नाम ही विचार व सिद्धांत का परिचायक है। जिसमें समस्त मूल्यों व दर्शन का समावेश है। बेशक गाँधीजी के विचारों व सिद्धांतों को आज भी उतना ही प्रासंगिक बतलाया जितना वो तत्कालीन समय में था बल्कि वर्त्तमान समय में उसकी अहमियत और अधिक है। अतः हर एक मनुष्य को गाँधीजी की जीवनी, विचार व सिद्धांत पढ़ना चाहिए। जिससे जीवन के प्रति हमारा नजरिया बदलेगा और मनुष्य का नैतिक और मौलिक उत्थान अवश्य होगा। जैसे कि आज के परिवेश में मानवता और नैतिकता की आवश्यकता है क्योंकि हमारे समाज का पतन हो रहा है।

महाराष्ट्र राज्य हिंदी अध्यापक संघ के अध्यक्ष डॉ. मिलिंद कांबले ने भी आभासी मंच से सारगर्भित संक्षिप्त उदबोधन से मंच को सराबोर किया। मुंबई विभागाध्यक्षा डॉ. वंदना पावसकर मैडमजी ने अपने अध्यक्षीय उदबोधन में संघ का संक्षिप्त परिचय देते हुए समारोह व वेबसंगोष्ठी की उपयोगिता व उद्देश्य को स्पष्ट किया। साथ ही महात्मा गाँधीजी के समाज दर्शन व जीवन दर्शन से जुड़ी अहम बातों को संक्षेप में प्रस्तुत किया।

वेबसंगोष्ठी में कुल मिलाकर नौ वक्ताओं ने हिस्सा लिया और सभी ने गाँधीजी के जीवन दर्शन व सिद्धांतों को लेकर अलग-अलग व अनोखे अंदाज में आभासी मंच का उदबोधन व कुशल मार्गदर्शन किया। कुशल वक्ताओं की सूची व विवरण इस प्रकार है ➖

⏺️डॉ. गोविंद निर्मल, खालसा महाविद्यालय मुंबई ने गाँधीजी के द्वारा अपनाए गए प्राकृतिक चिकित्सा, आवश्यकता और उसके महत्त्व को बखूबी आभासी मंच से साझा किया। जो कि वर्तमान समय में भी ग्रामीण क्षेत्रों में प्रचलन में है।

⏺️प्रा. विद्या लक्ष्मण शिंदे, श्री शाहू जूनियर कॉलेज कोल्हापुर ने नारी शिक्षा को लेकर गाँधीजी के शैक्षणिक विचारों व सिद्धांतों को प्रस्तुत किया। निस्संदेह नारी शिक्षा के बिना न तो परिवार की उन्नति संभव है, न समाज की उन्नति संभव है और न तो देश की उन्नति संभव है।

⏺️प्रा. अरुण वामनराव आहेर, नवभारत कॉलेज टेंभुरणी ने गाँधीजी के अस्पृश्यता व दलितोत्थान, दलितोद्धार संबंधित विचारों को बखूबी आभासी मंच से साझा किया।

⏺डॉ. पूनम पटवा, विल्सन महाविद्यालय मुंबई ने भी गाँधीजी की विचारधारा व सिद्धांतों को लेकर विविध आंदोलनों के संदर्भ में मंतव्य व्यक्त करके मंच का कुशल उदबोधन किया। साथ ही 'मैं चंपारण हूँ….' कविता की सुंदर प्रस्तुति देकर समारोह में प्राण डाल दिया।

⏺️प्रा. ज्योति थोरात, बिरला महाविद्यालय कल्याण ने भी गाँधीवादी विचारधारा के सारगर्भित वक्तव्य से मंच का कुशल मार्गदर्शन किया।

⏺️प्रा. माधवी मिश्रा, बीएसजीडीएस जूनियर कॉलेज मुंबई ने भी गाँधीजी को सत्य  और अहिंसा का पुजारी बताते हुए उन्हें एक युग प्रणेता बतलाया और बखूबी मंच का कुशल उदबोधन किया।

⏺️प्रा. नंदा संतोष गायकवाड़, श्री तात्यासाहेब तेंडुलकर जूनियर कॉलेज कोल्हापुर ने गाँधीजी के उन सिद्धान्तों को मंच से साझा किया जिसमें उन्होंने नारी उत्थान, दलित उद्धार और मानवता को संबोधित किया था।

⏺️प्रा. सुरेखा रामपाल दुबे, गो.से.वाणिज्य महाविद्यालय वर्धा ने भी अपनी सुरीली व प्रभावोत्पादक वाणी से सारगर्भित वक्तव्य देकर आभासी मंच का कुशल उदबोधन किया।

⏺️प्रा. परविझ दीपक बारी, तारापुर विद्या मंदिर एवं जूनियर कॉलेज ने संक्षेप में गाँधीजी और उनके सिद्धांतों को मंच से साझा किया।

किसी भी वेबसंगोष्ठी की सफलता का श्रेय मंच साझा करने वाले वक्ताओं व मंच से जुड़े हुए श्रोताओं को जाता है। इस दौरान 'दे दी हमें आज़ादी बिना खड्ग बिना ढाल साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल' गीत का भी लुत्फ उठाए। 'अतिथि देवो भवः की है ये धरा, सत्कार करके निभाते हैं परंपरा।' इस तरह जैसे सत्कार की परंपरा है वैसे ही कृतज्ञता ज्ञापित करना आवश्यक होता है। ठीक उसी प्रकार प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से आभासी मंच से जुड़े सभी सहयोगी सदस्यों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करना व आभार प्रदर्शन भी समारोह परंपरा व संस्कृति का निर्वहन है। डॉ. पूनम पटवा ने बहुत ही सलीके से क्रमशः मुख्य अतिथि, अध्यक्ष, विभागाध्यक्षा, समस्त पदाधिकारियों व मंच से जुड़े साथी प्राध्यापकों के प्रति आभार प्रकट करते हुए कृतज्ञता ज्ञापित किया। अतः सभी के आपसी सहयोग, कुशल मार्गदर्शन और योगदान से महात्मा गाँधी जयंती पर आयोजित वेबसंगोष्ठी का सफलतापूर्वक समापन हुआ।


प्रा. अशोक सिंह

     संयोजक

☎️ 9867889171











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