जब-जब मैं उसे पुकारूँ...

 जब-जब मैं उसे पुकारूँ...


जब-जब मैं उसे पुकारूँ

वो दौड़ी-दौड़ी चली आए

आँधी हो या तूफान हो

वो कभी ना घबराए...।


ऐसी प्यारी निंदिया....

सभी के भाग्य में आए

अकेलेपन की रुसवाई में

कभी भी ना सताए...।


निंदिया को मैं पुकारूँ

सपनों की बाट जोहूँ

सपना लगती अति सुहानी

एकदम परियों सी कहानी।


परियों की कहानी अलबेली

जो होती है एकदम निराली

संग-संग ले उड़ती रंगीली

बनकर तितली चमकीली।


जब-जब मैं उसे पुकारूँ

वो दौड़ी-दौड़ी चली आए

आँधी हो या तूफान हो

संग परियों को भी लाए।


वो जब भी हाँ-हाँ आती

अपनी होती है पौ बारह

दिन भर की थकान मिटाती

फिर हो जाती नौ-दो ग्यारह।


जादुई सी शक्ति मिलती

परियों के संग मस्ती होती

गहरी नींद में हम सो जाते

तरोताज़ा हो प्रातः उठते।


मुझे खुशी है निंदिया रानी

तुम हो रातों की महारानी

एकदम से हो औढरदानी

तुमसे है जीवन की रवानी।


➖ अशोक सिंह 'अक्स'

#अक्स 

#स्वरचित_हिंदीकविता

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