आओ हम सब मिलकर ऐसा दीप जलाएँ
आओ हम सब मिलकर ऐसा दीप जलाएँ
आओ हम सब मिलकर ऐसा दीप जलाएँ
दीप बनाने वालों के घर में भी दीये जलाएँ
चीनी हो या विदेशी हो सबको ढेंगा दिखाएँ
अपनों के घर में बुझे हुए चूल्हे फिर जलाएँ
अपनें जो रूठे हैं उन्हें हम फिर से गले लगाएँ।
आओ हम सब मिलकर ऐसा दीप जलाएँ
जो इस जग में जगमग-जगमग जलता जाए
जो अपनी आभा को इस जग में नित फैलाए
जो जग में फैले अंधकार अज्ञान को नित्य मिटाए
जो घृणा, द्वेष, ईर्ष्या, दलबंदी को दूर भगाए।
आओ हम सब मिलकर ऐसा दीप जलाएँ
सबके दिल का रूठा अँधियारा मिट जाए
दीप ज्योति सी जग में अपना अनुराग बढ़ाए
जनजन के मन में पनपे वैमनस्य भाव मिटाए
आओ मिलकर निर्धन को भी पकवान खिलाएँ।
आओ हम सब मिलकर ऐसा दीप जलाएँ
जिसके लौ में धर्म-जाति का मतभेद मिटाएँ
अमन-चैन सुख-शांति का चहु ओर संदेश फैलाएँ
आओ मिलकर जग के कल्याण का गुहार लगाएँ
आरोग्य-स्वास्थ्य सम्पदा को जग में फैलाएँ।
➖ अशोक सिंह 'अक्स'
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